-Prashant Das
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Maithili poem
Part-I: Humor
अठबज्जर मचैलक कतेक मुहजरौना
माइर बारैन्ह भगेबौ, रे तोरा करौना
बासन मंजै छी, अंगा फिचय छी
कहिया धरि बनल रहब मुहफुलौना
कतेक रामायण, कतेक महाभारत
मोबाईल बनल अछि अपन खिलौना
हजमा कतय गेल, बिला गेल चेला
मालिश वला तेल आनय, रौ जो ना
न कोई निमंत्रण न कोई हकार
बियाह, न मुंडन, आ नय कोनो गौना
सभटा ऊ फिटफाट, आर ओतेक जिट्ट
करौनाक आगू भएल फुरफुरौना
अठबज्जर मचैलक कतेक मुहजरौना
माइर बारैन्ह भगेबौ, रे तोरा करौना
Part-II: Empathy
बिला गेल विज्ञान, हैराएल ऊ संधान
विषाणु क आगू सभ, कत छोट बौना
कानय रहै माय छोटका बौवा के जे
दिल्ली स पैरे घर चलल रहौ ना
भरि पांज बचिया के धरि क कहय छल
गे , परसू बला मडुवा पेटे में छौ ना?