-Prashant Das
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#covid19
विस्मित , चिंतित , आतंकित
हमारे अंतरतम का गान ।
एकाकी गालियां और जनपथ
अंदर से ताले लगे मकान।
हुआ क्या ऐसा इस धरती पर
बिन अनुमान , बिन संज्ञान ?
सामाजिकता कंप्यूटर तक
व्हाट्स-ऐप्प तक अनुसंधान ।
राजनीति की ज्वाला भड़की
जलता घर पर है इंसान ।
धर्म – पंथ के ईंधन पर
नफरत के नहीं पके पकवान ।
उन बेघर मजदूरों को भी
आत्मीयता मिले समान ।
भारतीयता रहे ये अस्मित
बनें रहे हम सब इंसान ।
प्रलय का अंत हमारे हाथों
होगा जल्द , निश्चित श्रीमान ।
एकमात्र संकल्प है साधन
थोड़ी भक्ति , थोड़ा ज्ञान ।
सुंदर अभिव्यक्ति।🎉